- प्रयाग इलाहाबाद हाई कोर्ट में मुकदमों का बोझ निरंतर बढ़ रहा है। न्याय की आस में उत्तर प्रदेश भर से प्रतिदिन सैकड़ों याची हाई कोर्ट आते हैं, रूपलेकिन जिन न्यायाधीशों को अर्जियों की सुनवाई करके फैसला देना होता है उन्हीं की संख्या घटती जा रही है। हाई कोर्ट में मौजूदा समय न्यायाधीशों के 60 पद खाली हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के 160 पद स्वीकृत हैं। इसमें 77 पद स्थायी व बाकी अस्थायी हैं, लेकिन फिलहाल हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर सिर्फ सौ न्यायाधीश ही कार्यरत हैं।
वर्ष 2020 तक 22 न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इससे स्थिति और खराब हो जाएगी। मार्च 2015 में हाई कोर्ट की कोलेजियम ने 11 वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नाम सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार को भेजा था। इसमें से मात्र छह की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति हुई। इनकी नियुक्ति तीन नवंबर 2016 व तीन फरवरी 2017 में की गई। फिर अप्रैल 2016 में 29 अधिवक्ताओं के नाम भेजे गए, जिसमें से सितंबर 2017 में केवल 19 ही न्यायाधीश नियुक्त किए गए। फरवरी 2018 में 33 अधिवक्ताओं का नाम न्यायामूर्ति के लिए भेजा गया, उसमें आधे ही नियुक्त हुए। इसके बाद योग्य वकीलों की न्यायामूर्ति के रूप में नियुक्ति पर हाई कोर्ट कोलेजियम 10 माह से विचार कर रही है, लेकिन अभी उनके नाम नहीं भेजे गए।
आस में उत्तर प्रदेश भर से प्रतिदिन सैकड़ों याची हाई कोर्ट आते हैं, लेकिन जिन न्यायाधीशों को अर्जियों की सुनवाई करके फैसला देना होता है उन्हीं की संख्या घटती जा रही है। हाई कोर्ट में मौजूदा समय न्यायाधीशों के 60 पद खाली हैं। इलाहाबाद हाई कोर्ट में न्यायाधीशों के 160 पद स्वीकृत हैं। इसमें 77 पद स्थायी व बाकी अस्थायी हैं, लेकिन फिलहाल हाई कोर्ट में मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर सिर्फ सौ न्यायाधीश ही कार्यरत हैं।
वर्ष 2020 तक 22 न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो जाएंगे। इससे स्थिति और खराब हो जाएगी। मार्च 2015 में हाई कोर्ट की कोलेजियम ने 11 वरिष्ठ अधिवक्ताओं के नाम सुप्रीम कोर्ट व केंद्र सरकार को भेजा था। इसमें से मात्र छह की न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति हुई। इनकी नियुक्ति तीन नवंबर 2016 व तीन फरवरी 2017 में की गई। फिर अप्रैल 2016 में 29 अधिवक्ताओं के नाम भेजे गए, जिसमें से सितंबर 2017 में केवल 19 ही न्यायाधीश नियुक्त किए गए। फरवरी 2018 में 33 अधिवक्ताओं का नाम न्यायामूर्ति के लिए भेजा गया, उसमें आधे ही नियुक्त हुए। इसके बाद योग्य वकीलों की न्यायामूर्ति के रूप में नियुक्ति पर हाई कोर्ट कोलेजियम 10 माह से विचार कर रही है, लेकिन अभी उनके नाम नहीं भेजे गए।