प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कानपुर पहुंचे। यहां उनकी अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक हुई।

 


कानपुर.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कानपुर पहुंचे। यहां उनकी अध्यक्षता में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक हुई। इसमें नमामि गंगे परियोजनाक अगले चरण और नए एक्शन प्लान पर चर्चा हुई। इसके बाद मोदी ने परियोजना के असर का निरीक्षण करने के लिए अटल घाट परनौकायन भी किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उनके साथ थे। नौकायन के लिए प्रयागराज से डबल डेकर मोटर बोट मंगाई गई थी।


बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी और कई अफसर शामिल हुए। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी न्योता भेजा गया था, लेकिन वे शामिल नहीं हुईं।



  •  गंगा नदी का कानपुर में पड़ने वाला हिस्सा सबसे अधिक प्रदूषित माना जाता है। कानपुर में होने वाली इस बैठक से सरकार संदेश देना चाहती है


कानपुर में 128 साल पुराना सीसामऊ नाला एशिया में सबसे बड़ा है। अंग्रेजों ने शहर के गंदे पानी की निकासी के लिए इसका निर्माण किया था। करीब 40 मोहल्लों से सीसामऊ नाले से रोजाना 14 करोड़ लीटर प्रदूषित पानी गंगा में गिरता था। अब नमामि गंगे परियोजना के तहत 28 करोड़ रुपए की लागत से इसे साफ किया गया। इसे डायवर्ट कर वाजिदपुर और बिनगवां ट्रीटमेंट प्लांट में भेजा जा रहा है।


गंगा और इसकी सहायक नदियों का प्रदूषण खत्म करने और इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए 2014 में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना शुरू की थी। इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प को दी गई है। परियोजना की अवधि 18 साल है। सरकार ने 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20 हजार करोड़ रुपए का बजट तय किया है।



कानपुर में 128 साल पुराना सीसामऊ नाला एशिया में सबसे बड़ा है। अंग्रेजों ने शहर के गंदे पानी की निकासी के लिए इसका निर्माण किया था। करीब 40 मोहल्लों से सीसामऊ नाले से रोजाना 14 करोड़ लीटर प्रदूषित पानी गंगा में गिरता था। अब नमामि गंगे परियोजना के तहत 28 करोड़ रुपए की लागत से इसे साफ किया गया। 


गंगा और इसकी सहायक नदियों का प्रदूषण खत्म करने और इन्हें पुनर्जीवित करने के लिए 2014 में केंद्र सरकार ने नमामि गंगे परियोजना शुरू की थी। इसकी जिम्मेदारी केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय, नदी विकास और गंगा कायाकल्प को दी गई है। परियोजना की अवधि 18 साल है। सरकार ने 2019-2020 तक नदी की सफाई पर 20 हजार करोड़ रुपए का बजट तय किया है।


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