लखनऊ. नागरिकता संशोधन कानून (caa) के विरोध में बीते दिनों उत्तर प्रदेश के 22 जिलों में हुए हिंसा मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने सख्त रुख अपनाया है। आयोग ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओपी सिंह को नोटिस जारी किया है। प्रदर्शन के दौरान हिंसा और मौत पर चार सप्ताह में जवाब मांगा है। हिंसा और मौत के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के वकीलों का एक समूह आयोग पहुंचा था। मालूम हो कि, हिंसा के दौरान उत्तर प्रदेश में 18 लोगों की जान गई है।
उत्तर प्रदेश में 10 दिसंबर के बाद से ही विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 15 दिसंबर को अलीगढ़ में एएमयू में जमकर हिंसा हुई। इसके बाद मऊ, लखनऊ और फिर हिंसा की चिंगारी ने 22 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया। आगजनी, तोड़फोड़, पथराव, फायरिंग में 18 लोगों की जान गई। 288 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिसमें 61 पुलिसकर्मी फायर आर्म्स से घायल हुए हैं।
अब तक 213 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। 925 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया गया। जबकि 5558 लोगों को हिरासत में लेकर निरोधात्मक कार्रवाई की गई। प्रदेश में कुल 16,961 सोशल मीडिया पोस्टों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है।
आयोग ने डीजीपी से पूछा है कि, हिंसा क्यों और इस दौरान मौते कैसे हुई हैं। आयोग ने डीजीपी को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का वक्त दिया है। एनएचआरसी ने डीजीपी से इंटरनेट सेवाएं बंद करने पर भी रिपोर्ट मांगी है। प्रदेश में 21 जिलों में 19 दिसंबर से इंटरनेट सेवाएं बंद हुईं। हालांकि, बाद में शांति होने पर अधिकतर जिलों में इंटरनेट बहाल कर दिया गया है। लेकिन लखनऊ में बुधवार रात आठ बजे तक इंटरनेट सेवाएं ठप हैं।