आजकल के इस आधुनिक और विकसित दौर में शिक्षा प्रणाली का बेहतर होना उतना ही जरूरी है जितना जीवन में खाने का महत्व है क्योंकि बेहतर शिक्षा प्रणाली ही बच्चों के बेहतर भविष्य का रास्ता बनती है। ऐसे में अपने बच्चों के लिए सही स्कूल का चुनाव करना किसी कड़ी चुनौती से कम नहीं है। शिक्षा के क्षेत्र में भी कम्पटीशन बहुत बढ़ गया है।
- ऐसे में अपने बच्चों के लिए सही स्कूल का चयन करना बहुत ही कठिन हो गया है। सभी माता पिता की ये चाहत होती है उसके बच्चे को एक अच्छी शिक्षा मिले ताकि उसका आने वाला भविष्य आज से बेहतर हो सके। ऐसे में हर किसी का ये मानना होता है कि जितना महँगा स्कूल होगा वहाँ उतनी ही अच्छी पढ़ाई होगी। लेकिन ये बात किस हद तक सही है
शिक्षा के क्षेत्र में होते विस्तार के कारण हमारे देश में कई ऐसे हाइफाई स्कूल हैं जिनकी फीस आसमान को छूती है। ऐसे में अगर कोई सामान्य वर्ग का व्यक्ति अपने बच्चों को पढ़ाने के बारे में सोच भी नहीं सकता है। ये जरूरी नहीं की महंगें स्कूल शिक्षा भी अच्छी दें कई बार ये भी देखा जाता है कि नॉर्मल स्कूल से शिक्षित बच्चे अपने भविष्य में कई सफलता हासिल करते हैं।
परिवार की आय का अलग अलग स्तर होता है जहां एक तरफ अमीर लोग एवं बड़े व्यापारी होते है उनका उद्देश्य होता है की बच्चा पढ़ कर व्यवसाय में हाथ बढ़ाये। जबकि मध्यमवर्गीय परिवारों के विद्यार्थियों का उद्देश्य होता है की उनका बच्चा पढ़ लिख कर जॉब की तैयारी करे या कोई प्रोफेशनल कोर्स करे.. जहां पर अमीरों के बच्चो में पढ़ने के लिए ज्यादा झुकाव नहीं होता और मध्यमवर्गीय बच्चे भी उनकी देखा देखी में पढाई नहीं करते और अपने करियर में पीछे रह जाते है।
- हर बच्चे के लिए उसका स्कूल एक तरह से उसका दूसरा घर होता है इसलिए स्कूल के साथ उसके शिक्षक की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो जाती है। क्योंकि जीवन में शिक्षक की भूमिका माता-पिता के समान होती है ऐसे में अध्यापकों का व्यवहार और बच्चों के प्रति उनका आचरण काफी हद तक बच्चों की ग्रोथ पर निर्भर करता है। वहीं ज्यादा महंगे और हाइफाई स्कूल में ये जरूरी नहीं होता की बच्चों को सही डिसिप्लिन सिखाया जाए। सभी माता-पिता अपने बच्चों के सफल होने की ख़्वाहिश रखते हैं और उन्हें अपनी क्षमता में उपलब्ध सर्वोत्तम चीजों को प्रदान करने में मदद करते हैं।