नई दिल्ली .चुनाव के ऐलान के साथ ही तीनों राजनीतिक दल अपनी-अपनी सरकार बनाने के दावे कर रहे हैं। अब भाजपा की तरफ से केंद्र सरकार और आप की तरफ से राज्य सरकार के प्रोजेक्ट शिलान्यास और उद्घाटन व घोषणाएं बंद हो गई है।
अब दिल्ली में आप, भाजपा और कांग्रेस के बीच चुनावी दंगल शुरू हो रहा है। ऐसे में नेता अपने-अपने गुणा-भाग कर रहे हैं। विस 2015 में आम आदमी पार्टी ने अकेले 54.34% वोट के साथ 67/70 सीट जीतकर इतिहास रहा जिसे दोहराने की चुनौती अरविंद केजरीवाल पर रहेगी। दूसरे नंबर की पार्टी भाजपा को 32.19% वोट मिले लेकिन सीटें सिर्फ तीन मिलीं। वोट प्रतिशत बेशक थोड़ा बढ़े लेकिन सीट बढ़ाने के लिए ताकत लगानी होगी क्योंकि 2013 में भाजपा को महज 33.7% वोट में 31 सीटें मिल गई थी। इसमें कांग्रेस को 24.55% वोट और 8 सीटें मिली थीं।
कांग्रेस को 2015 में सिर्फ 9.65% वोट मिले थे और 62 सीट पर जमानत जब्त हो गई थी। कांग्रेस को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और झारखंड की तरह कुछ चमत्कार या खाता खोलने के लिए लड़ना होगा। दिल्ली की वर्तमान सरकार का कार्यकाल 22 फरवरी, 2020 तक है। दिल्ली की तीनों में से किसी भी राजनीतिक दल ने अपना घोषणा पत्र और प्रत्याशी अभी तक घोषित नहीं किया है। हालांकि आम आदमी पार्टी लगातार अपने कार्यक्रम कर रही है तो कांग्रेस भी लोकल कार्यक्रम में जुटी है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की रैली रामलीला मैदान में हुई तो पीएम नरेंद्र मोदी भी रामलीला मैदान में अनाधिकृत कालोनी के बहाने उतर चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और दिल्ली के प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर लगातार दिल्ली में सक्रिय हैं।