नई दिल्ली.देश पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने का महत्वाकांक्षी सपना देख रहा है। इस बीच, अमेजन को लेकर कुछ ऐसा हुआ है जो विवादों में आ गया है। अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस ने पिछले हफ्ते भारत का दौरा किया। तीन दिन के इस दौरे में उन्होंने बच्चों के संग पतंगें उड़ाईं। राजघाट गए। देश के प्रमुख उद्योगपतियों के साथ मुलाकात की। बॉलीवुड कलाकारों के साथ संवाद किया। देश में सात हजार करोड़ रुपए के नए निवेश का एलान किया। इसके बावजूद, इसे लेकर दिल्ली में उनके खिलाफ नारे लगते रहे। प्रधानमंत्री मोदी को छोड़िए...सरकार के किसी भी मंत्री ने बेजोस के साथ मुलाकात नहीं की।
बेजोस ने भारतीय ग्राहकों और व्यापारियों के नाम पत्र लिखक अमेजन पर पोस्ट भी किया। दुनिया के सबसे अमीर शख्स बेजोस के साथ भारत में ऐसा बर्ताव क्यों हुआ? इसकी कई वजहें हो सकती हैं। दरअसल, अमेजन के खिलाफ देश में कई शिकायतें हैं। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग भी उसके खिलाफ जांच कर रहा है। एक वजह- उनके स्वामित्व वाले अखबार की मोदी के खिलाफ कड़ी टिप्पणियों को भी माना जा रहा है। दरअसल, बेजोस का विरोध सिर्फ भारत में ही नहीं, दुनिया के कई देशों में है।
बेजोस के लिए भारत में चुनौतियों पर उन्हीं के अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने भी एक खबर की है। खबर में कहा गया है कि जेफ के लिए भारत में एंटी ट्रस्ट ऑर्डर बड़ा खतरा नहीं है। बल्कि "फिजिटल' प्लेटफॉर्म बड़ी चुनौतीबनने वाला है,जिसे मुकेश अंबानी तैयार कर रहे हैं। फिजिटल यानी फिजिकल+डिजिटल..। मुकेश अंबानी अपना ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म लॉन्च करने वाले हैं, जिसके जरिए वे तीन करोड़ दुकानदारों को अपने 4जी नेटवर्क से जोड़ेंगे।जानिए अमेजन और जेफ बेजोस से जुड़ा पूरा विवाद आखिर है क्या?
अमेजन के फाउंडर और सीईओ जेफ बेजोस पिछले हफ्ते भारत यात्रा पर थे। बेजोस के आने से एक दिन पहले ही भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग ने अमेजन के खिलाफ जांच शुरू की है। अमेजन और वॉलमार्ट के स्वामित्व वाली फ्लिपकार्ट पर बिक्री मूल्य में भारी छूट और पसंदीदा विक्रेताओं के साथ गठजोड़ के आरोप हैं। जिस समय बेजोस भारत में थे, उसी दौरान दिल्ली में उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी हो रहा था। "बेजोस गो बैक' के नारे लगाए जा रहे थे।
जेफ बेजोस को 2019 हमेशा याद रहेगा। जब उनकी कंपनी अमेजन स्थापना की 25वीं वर्षगांठ मना रही थी। उसी दौरान उनके तलाक की प्रक्रिया चल रही थी। तलाक के बाद उनकी पत्नी मैकेंजी बेजोस को 38 अरब डॉलर डिवोर्स सेटलमेंट के रूप में मिले। इससे वे दुनिया की तीसरी सबसे अमीर महिला बन गईं। हालांकि, उन्होंने बाद में आधी संपत्ति को दान देने का फैसला लिया था।