दिल्ली विधानसभा चुनाव में जो पार्टी नजदीकी अंतर वाली सीटें ज्यादा जीतती है, उसी की सरकार बनती है।
 


दिल्ली विधानसभा चुनाव में पार्टियों के बीच एक-एक वोट की लड़ाई कुछ ज्यादा ही रोमांचक होती है। हर चुनाव में नजदीकी मुकाबले सत्ता का समीकरण बिगाड़ते हैं। 30 सीटें ऐसी हैं, जिन पर हार-जीत का अंतर काफी कम रहता है। दिल्ली में पिछले तीन चुनावों के नतीजों का ट्रेंड कहता है कि जो पार्टी नजदीकी अंतर वाली सीटें ज्यादा जीतती है, उसी की सरकार बनती है।


आप (आम आदमी पार्टी) ने 70 में से 67 सीटें जीतीं। इसके बावजूद 13 सीटों पर जीत-हार में इनमें से 11 सीटें आप के खाते में गई थीं। दो सीटें भाजपा को मिली थीं। सबसे नजदीकी मुकाबला नजफगढ़ सीट पर रहा था। यहां हार-जीत में 1% का अंतर रहा। आप नेता सत्येंद्र जैन शकूर बस्ती से 3133 वोटों से जीते थे।


भाजपा सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद सरकार नहीं बना सकी। 2013 में 46 सीटों पर जीत-हार का अंतर 10% से कम था। 27 सीटों पर 5% से कम और 12 सीटों पर 2% से कम था। जिन 12 सीटों पर, उनमें 7 सीटें आप को मिलीं, भाजपा को 3 मिलीं। आप ने कुल 28 सीटें जीतीं, 


2008 में 70 में से 31 सीटों पर 21 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। भाजपा को 10 सीटें मिली थीं। तब कांग्रेस ने ही सरकार बनाई थी। इस चुनाव में यूपीए को 43 और एनडीए को 23 सीटों पर जीत मिली थी।


दिल्ली में 70 विधानसभा सीटों के लिए 8 फरवरी को वोटिंग होना है।नतीजे 11 फरवरी को आएंगे।



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