नई दिल्ली छोटे लोहिया के नाम से मशहूर जनेश्वर मिश्र देश के उन गिने-चुने नेताओं में से थे जो केंद्र में कई बार मंत्री रहे, लेकिन इसके बावजूद उनके पास न तो कोई गाड़ी थी और न ही कोई बंगला ही था। यह उनके जमीन से जुड़े नेता होने की भी पहचान थी। जनेश्वर यूं तो समाजवादी पार्टी के एक राजनेता थे, लेकिन उनका सम्मान हर पार्टी और हर नेता करता था।
उनके ऊपर समाजवादी विचारधारा की छाप साफतौर पर दिखाई भी देती थी। इसी वजह से वो छोटे लोहिया के नाम से प्रसिद्ध भी थे। 5 अगस्त 1933 को बलिया के शुभनथहीं के गांव में जन्में जनेश्वर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा बलिया से ही पूरी की थी। इसके बाद वह 1953 में इलाहाबाद आ गए जो बाद में उनकी कर्मभूमि भी बनी। समाजवादी विचारधारा से प्रभावित को हमेशा लगता था कि यही सोच देश को विकास के मार्ग पर अग्रसर कर सकती है।
इलाहाबाद में ही उन्होंने अपनी कालेज की पढ़ाई भी पूरी की थी। वो ग्रेजुएशन के दिन थे जब जनेश्वर ने राजनीति का ककहरा सीखना शुरू किया था। यहां से ही वो छात्र राजनीति जुड़े थे। इस दौरान कई मुद्दों को लेकर उन्होंने आंदोलन शुरू किया तो कुछ आंदोलन का वो हिस्सा बने। 1967 उनके जीवन का सबसे बड़ा वर्ष था। यहां से ही उन्होंने सक्रिय राजनीति में हिस्सा लिया था। अपने आंदोलनों के चलते उस वक्त उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। इसी दौरान लोकसभा चुनाव का भी एलान हो चुका था।