मेरठ सीएए को धर्म के नजरिये से देखना गलत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बोले- देश के मुसलमानों को कोई छू भी नहीं पाएगा,

मेरठ. देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को मेरठ में नागरकता संशोधन कानून के पक्ष में प्रचार किया। उन्होंने कहा- सीएए हमारा वादा था, हमने अपना वादा पूरा किया है। हमने कोई अपराध नहीं किया। लेकिन इसे हिन्दू और मुसलमान के नजरिये से देखा जा रहा है। संदेह चाहे कोई भी कर ले, हमारे प्रधानमंत्री धर्म के आधार पर नहीं, इंसानियत के आधार पर सोचते हैं। उन्होंने विपक्षी दलों पर सीएए के खिलाफ दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया। सिंह ने कहा- जो मुसलमान भारत का नागरिक है, कोई मां का लाल उसे छू नहीं पाएगा। 


राजनाथ सिंह ने कहा- 2019 का घोषणा पत्र तैयार करने की जिम्मेदारी मुझे मिली थी। मेरठ की धरती से पूरे देश को यकीन दिलाना चाहता हूं कि, जो वादा किया है, चाहे जितनी भी कीमत चुकानी पड़े, हम पूरा करेंगे। हमने 370 हटाने का वादा किया था। सरकार बनी तो चुटकी बजाते ही समाप्त कर दिया। वादा किया था नागरिकता का कानून लाएंगे। पिछली सरकार में राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण पारित नहीं हो सका था। इसलिए इस बार इसे पेश किया। 


कुछ ताकतें हिंदू मुसलमान को बांटकर सत्ता का स्वाद चखती हैं। हमने उसकी कभी परवाह नहीं की। महात्मा गांधी ने कहा था- अगर अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न होता है तो उसके प्रति भारत को संवेदनशील होना होगा। महात्मा गांधी ने जो कहा था, उसे भाजपा ने कर दिखाया है। कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 18 दिसंबर 2003 को कहा था- पाकिस्तान, बांग्लादेश में जिन हिंदू-सिखों का उत्पीड़न हुआ है। सरकार को उन्हें नागरिकता देनी चाहिए। जो उन्होंने कहा था, वह हमने पूरा किया। आज जगह जगह भारत तेरे टुकड़े होंगे नारे लग रहे हैं। यह अधिकार किसने दिया? 


राजनाथ सिंह ने कहा- क्या देश में एनपीआर नहीं होना चाहिए? ये हम लोगों ने नहीं बनाया। कांग्रेस ने 2010 में इसके संबंध में फैसला किया था। ये कहते हैं कि, आप एनपीआर बना रहे हैं, फिर एनआरसी लेकर आएंगे और यहां के मुसलमानों को देश से बाहर कर देंगे। मैं यहां के मुसलमानों को कहना चाहता हूं कि, कोई मां का लाल उन्हें छू नहीं पाएगा। यदि किसी को कोई शिकायत है तो हमारे पास आएं। उस मुसलमान के साथ हम खड़े रहेंगे। हम इंसान और इंसान के बीच नफरत पैदा कर राजनीति नहीं करेंगे। 


विपक्षी दल दुष्प्रचार कर रहे हैं कि, एनआरसी लाकर देश के मुसलमानों को बाहर कर दिया जाएगा। जबकि एनआरसी पर कहीं चर्चा भी नहीं हुई। एनपीआर में यादि आपसे कोई नाम, जन्म तिथि पूछता है तो जो आप देंगे वही लिख लिया जाएगा। कोई किसी पर दबाव नहीं डाला जाएगा। एनआरसी हम लोग भारत में लेकर नहीं आए हैं। ये एनआरसी की चर्चा आजादी के समय आ गई थी। एनआरसी पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री से उस समय बात की थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर असम में एनआरसी लागू हुई। जो ताकतें भ्रम फैला रही हैं, उन पर ध्यान न दें। 


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