- इससे पहले 7 जनवरी को पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को 22 जनवरी को सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने का डेथ वॉरंट जारी कर दिया था। इस पर दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि दया याचिका लंबित रहने तक किसी भी दोषी को फांसी नहीं दी जा सकती। इसी बीच,दोषियों को फांसी में देरी पर निर्भया की मां आशा देवी ने पीड़ा जाहिर की।
ट्रायल कोर्ट ने 13 सितंबर, 2013 को मौत की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मई 2017 में इस पर मुहर लगाई। जुलाई 2018 में 3 पुनर्विचार याचिकाएं रद्द हुईं। तिहाड़ के पूर्व अधिकारी सुनील गुप्ता के अनुसार सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों को कानूनी विकल्प आजमाने के लिए उसी वक्त 7 दिन का नोटिस देना जेल अधीक्षक की जिम्मेदारी थी।
निर्भया की मां आशा देवी कहती हैं कि मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जेल प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। जुलाई 2018 में तीन की पुनर्विचार याचिका खारिज होने पर भी जेल प्रशासन मौन रहा। उन्होंने खुद 14 फरवरी, 2019 काे कोर्ट से डेथ वारंट जारी करने की मांग की। काेर्ट नाेटिस पर ही जेल प्रशासन ने दोषियों को दो नोटिस दिए।तिहाड़ जेल दिल्ली सरकार के गृह विभाग के अधीन है। जेल प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद डेथ वारंट नहीं मांगा था ताे दिल्ली सरकार उसे कार्रवाई का आदेश दे सकती थी। करीब ढाई साल की निष्क्रियता पर सरकार के पास लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अनुुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार भी है। दिल्ली सरकार ने अपनी ओर से कोई पहल नहीं की। कोई फॉलोअप नहीं लिया। बल्कि, डेथ वारंट जारी होने के बाद हाईकोर्ट और निचली अदालत में जेल मैनुअल का हवाला दे यह जरूर कहा कि 22 जनवरी को फांसी संभव नहीं। जेल और दिल्ली सचिवालय की दूरी महज 19 किमी है। फिर भी किसी अधिकारी ने समीक्षा जैसा कदम नहीं उठाया तिहाड़ जेल के एआईजी राजकुमार ने कहा कि जुलाई 2018 में मुकेश, पवन और विनय की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद उनसे मौखिक तौर पर कई बार कानूनी विकल्प आजमाने काे कहा। 2019 में अक्टूबर और दिसंबर में दाे नाेटिस दिए। दिल्लीके मुख्यमंत्रीअरविंद केजरीवाल कहते हैं कि दिल्ली सरकार के अधीन आते सभी काम कुछ घंटों में ही पूरे कर दिए। दोषी की दया याचिका मिलने के चंद घंटों में उसे खारिज करने की सिफारिश उपराज्यपाल काे भेज दी थी। किसी भी काम में दिल्ली सरकार ने देरी नहीं की।दाेषियाें के वकील एपी सिंह ने दावा किया कि लूट के मामले में चारों की अपील हाईकाेर्ट में लंबित है। अभी फांसी नहीं हो सकती। अगस्त 2015 में जेल में एक पेंटर से लूट में काेर्ट ने इन्हें 10 साल की सजा सुनाई थी