राज्य कानून की अनुमति के बिना नागरिकों को उनकी संपत्ति से वंचित नहीं कर सकता।

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि कानून से संचालित किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्य कानून की अनुमति के बिना नागरिकों को उनकी संपत्ति से वंचित नहीं कर सकता। शीर्ष अदालत ने व्यवस्था दी कि उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बिना नागरिकों को उनकी निजी संपत्ति से जबरन वंचित करना मानवाधिकार और संविधान के अनुच्छेद 300ए के तहत संवैधानिक अधिकार का भी उल्लंघन होगा। जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस अजय रस्तोगी की पीठ ने अपने निर्णय में कहा कि कानून से संचालित कल्याणकारी सरकार होने के नाते वह संवैधानिक सीमा से परे नहीं जा सकती।


अदालत ने हिमाचल प्रदेश सरकार को निर्देश दिया कि वह उस निरक्षर विधवा को आठ सप्ताह के भीतर मुआवजा प्रदान करे और साथ ही सभी कानूनी लाभ प्रदान करे जिसकी जमीन 1967-68 में हमीरपुर जिले में नदाऊं-सुजानपुर सड़क के निर्माण के लिए अधिग्रहण प्रक्रियाओं का पालन किए बिना अधिगृहीत कर ली गई थी। शीर्ष अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 136 और अनुच्छेद 142 के तहत अपने असाधारण न्यायाधिकार का इस्तेमाल करते हुए उक्त आदेश दिया।


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