नई दिल्ली :  15 दिसंबर से चल रहे CAA-NRC के खिलाफ धरना-प्रदर्शनों के दौरान 4 महीने के बच्चे की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है।

नई दिल्ली :  15 दिसंबर से चल रहे CAA-NRC के खिलाफ धरना-प्रदर्शनों के दौरान 4 महीने के बच्चे की मौत के संबंध में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों को जमकर फटकार लगाई। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि 4 महीने का बच्चा कैसे प्रदर्शन कर सकता है? इसी के साथ बच्चे की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। 


कोर्ट ने यह टिप्पणी ने शाहीन बाग में प्रदर्शनकारी महिलाओं की ओर से बच्चे के प्रदर्शन के अधिकार की दुहाई पर कही। कोर्ट ने कहा कि एक 4 महीने का बच्चा कैसे प्रदर्शन कर सकता है,                                                                      सोमवार को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीष,एस ए बोबडे, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने प्रदर्शन के अधिकार के सवाल में पूछा  कि कैसे चार महीने का बच्चा प्रदर्शन कर सकता है? साथ ही प्रदर्शनकारियों के इस तर्क पर फटकार लगाई कि बच्चों को भी प्रदर्शन का अधिकार है।                 


 बहादुरी पुरस्कार पाने वाली छात्रा जेन गुणरत्न सदावर्ते ने चिट्ठी लिखकर 4 महीने के बच्चे को मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखी थी।  छात्रा ने चिट्ठी में कोर्ट से गुजारिश की थी कि ऐसे धरना-प्रदर्शनों में बच्चों को शामिल नहीं करने को लेकर उचित दिशा निर्देश दिया जाए।  इसी के साथ छात्रा का यह भी कहा था कि सुप्रीम कोर्ट इस बाबत गाइड लाइन भी बनाए।  चिट्ठी में छात्रा ने यह भी गुजारिश की है कि ऐसे धरना प्रदर्शनों में बच्चों का शामिल करना उन पर अत्याचार है। सुप्रीम कोर्ट से बच्चे की मौत के मामले में जांच की मांग भी की गई थी। नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर को लेकर 15 दिसंबर से दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में प्रदर्शन चल रहा है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि CAA को वापस लिया जाए।


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