नई दिल्ली.इंटरनेट पर पोर्न साइट्स तक आसान पहुंच सामाजिक रिश्तों को तार-तार कर रही है। निर्भया के अपराधी हों या हैदराबाद के दरिंदे, उन्होंने वारदात से पहले पोर् वीडियो देखे थे। ऐसे ही इंदौर के बाल सुधार गृह में रखे गए दो नाबालिगों ने स्वीकारा है कि दुष्कर्म से पहले उन्होंने पोर्न मूवी देखी थी। रोज दर्जनों मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें दुष्कर्म करने वाले पोर्न वीडियो देखने के आदी हैं।
सूरत के लिंबायत इलाके में साढ़े तीन साल की बच्ची की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई। दोषी अनिल यादव को सूरत की कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। 29 फरवरी 2020 के लिए डेथ वारंट भी जारी कर दिया गया है। चार्जशीट में दर्ज अनिल का बयान - ‘मैं मोबाइल फोन पर ब्लू फिल्म देख रहा था, तभी बच्ची वहां आ गई और मुझसे यह अपराध हो गया। चीख-पुकार दबाने के लिए मैंने उसका मुंह बंद किया, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद मैं घबराकर अपने घर बिहार भाग गया
यह वारदात पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति ने की। वह 7 साल की बच्ची को पोर्न वीडियो दिखाकर उसके साथ गलत काम करता था। कई दिनों बाद भेद तब खुला, जब लड़की गुमसुम रहने लगी और उसकी तबीयत बिगड़ने लगी। मां ने पूछा तो उसने पड़ोस में रहने वाले व्यक्ति की करतूत उजागर कर दी। लड़की का उसके घर आना-जाना था। आरोपी के मोबाइल फोन की पड़ताल से खुलासा हुआ कि वह अकसर पोर्न साइट्स देखा करता था। पीड़ित लड़की सरकारी स्कूल में पढ़ रही है, जबकि आरोपी शादीशुदा है।
भोपाल में 5 साल की बच्ची के साथ पड़ोस में ही रहने वाले 27 साल के दो बच्चों के पिता ने हैवानियत करने की साजिश रची। बच्ची घर के बाहर खेल रही थी, तभी आरोपी उसके पास पहुंचा और 10 रुपए और चॉकलेट का लालच देकर उसे घर ले गया। फिर उसने मोबाइल फोन पर पोर्न मूवी देखनी शुरू कर दी। साथ ही बच्ची के साथ ज्यादती करने लगा। बच्ची की चीख सुनकर लोग इकट्ठा हुए और उसे धर दबोचा। चार महीने पहले भी आरोपी ने एक बच्ची को पोर्न मूवी दिखाकर दुष्कर्म की कोशिश की थी।
छत्तीसगढ़ का एक परिवार इंटरनेट में उपलब्ध पोर्न कंटेंट के चलते पूरी तरह बिखर चुका है। दो नाबालिग बच्चे घर पर ही मोबाइल फोन पर पोर्न देखते-देखते संबंध बनाने लगे। यह सिलसिला एक साल तक चलता रहा। नतीजा- 12 साल के भाई और 15 साल की बहन के बीच इस अवैध संबंध ने एक बच्चे को जन्म दिया। भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उसे बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया गया है। लड़की परिजनों के साथ है। एक महीने के नवजात को महिला बाल विकास विभाग ने अनाथ आश्रम में रखा है।